नवरात्रि के प्रथम दिन की कथा - माँ शैलपुत्री, नवरात्री स्पेशल | पहले नवरात्र की कथा | माँ शैलपुत्री की संपूर्ण कथा | Shailputri Mata Ki Katha

 


🌸 नवरात्रि के प्रथम दिन की कथा - माँ शैलपुत्री 🌸

🔱 माँ शैलपुत्री का स्वरूप
नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। "शैल" का अर्थ पर्वत होता है, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री (पर्वतराज हिमालय की पुत्री) पड़ा। ये नंदी बैल पर सवार रहती हैं, इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प होता है।


📜 माँ शैलपुत्री की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में माँ शैलपुत्री राजा दक्ष की पुत्री सती थीं और भगवान शिव की पत्नी बनीं। एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया, लेकिन उन्होंने इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। जब देवी सती को इसका पता चला, तो वे बिना निमंत्रण के ही यज्ञ में चली गईं। वहाँ जाकर उन्होंने देखा कि भगवान शिव का अनादर किया जा रहा है। यह अपमान वे सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ की अग्नि में स्वयं को भस्म कर दिया

इसके बाद, अगले जन्म में माँ ने राजा हिमालय के घर में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं। इस जन्म में भी उन्होंने घोर तपस्या करके भगवान शिव को पुनः अपने पति रूप में प्राप्त किया।


🌟 माँ शैलपुत्री की पूजा विधि

1️⃣ प्रातः स्नान करके लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
2️⃣ पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और माँ शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3️⃣ माँ को सिंदूर, अक्षत, चंदन, फूल और धूप-दीप अर्पित करें।
4️⃣ घी का दीप जलाएं और दुर्गा सप्तशती या शैलपुत्री स्तोत्र का पाठ करें।
5️⃣ "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
6️⃣ नैवेद्य में गाय के घी से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं।


🌺 माँ शैलपुत्री की कृपा से लाभ

✅ मानसिक शांति और शक्ति मिलती है।
✅ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
✅ रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
✅ पारिवारिक जीवन सुखमय बनता है।

🙏 "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" 🙏
🔱 जय माता दी! 🔱 🚩